inida become member of wassenaar arrangement

भारत वासेनार अरेंजमेंट का 42वां सदस्य बना

नियंत्रण निकाय ‘वासेनार अरेंजमेंट’ (Wassenaar Arrangement-WA) ने दिसम्बर 2017 में भारत को अपना नया सदस्य बनाने फैसला लिया था. यह फैसला ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में हुई एक दो दिवसीय बैठक के दौरान लिया गया था.

इस बैठक में भारत को वासेनार अरेंजमेंट के 42वें सदस्य के तौर पर शामिल किये जाने पर सहमति बनी थी. वासेनार में भारत को शामिल करने के लिए रूस, फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका ने भारत का समर्थन किया था.

क्या है वासेनार अरेंजमेंट नियंत्रण व्यवस्था

विश्व में हथियारों के निर्यात को नियंत्रित करने के लिए चार प्रमुख बहुपक्षीय व्यवस्थाएं हैं:

  1. एनएसजी,
  2. एमटीसीआर,
  3. वासेनार अरेंजमेंट और
  4. ऑस्ट्रेलिया ग्रुप

इन चारों समूहों में से किसी समूह में शामिल होने के लिए पुराने सदस्य देशों की आम सहमति आवश्यक होती है. केंद्र में नरेन्द्र मोदी सरकार बनने के बाद से भारत ने इन समूहों में शामिल होने के लिए काफी प्रयास किया है.

1. एनएसजी: एनएसजी यानी न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप मई 1974 में भारत के न्यूक्लियर टेस्ट के बाद बना था. इसमें 48 सदस्य देश हैं. इनका मकसद न्यूक्लियर हथियारों और उनके उत्पादन में इस्तेमाल हो सकने वाली टेक्नीक, इक्विपमेंट और मटेरियल के निर्यात को रोकना या कम करना है.

भारत ने पिछले तीन साल से एनएसजी मेंबरशिप के लिए प्रयास कर रहा है, लेकिन चीन (जो कि इसका सदस्य देश है) के विरोध के कारण भारत इस संगठन का सदस्य नहीं बन पा रहा है. चीन का कहना है कि एनएसजी की मेंबरशिप हासिल करने के लिए एनपीटी पर साइन करना एक शर्त है. भारत ने अभी तक एनपीटी पर साइन नहीं किया है. दरअसल चीन, भारत के साथ पाकिस्तान को भी एनएसजी मेंबरशिप दिलाना चाहता है.

2. एमटीसीआर: अप्रैल 1987 में समूह सात देशों सहित 12 विकसित देशों ने मिलकर आणविक हथियार से युक्त प्रक्षेपास्त्रों के प्रसार को रोकने के लिए एक समझौता किया था जिसे मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) कहते हैं.

वर्तमान में एमटीसीआर 34 देशों का एक समूह है. इसमें फ्रांस, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन, अमेरिका, इटली और कनाडा इसके संस्थापक सदस्य रहे हैं. हाल ही में भारत ने एमटीसीआर की सदस्यता प्राप्त की है. चीन तथा पाकिस्तान इसके सदस्य नहीं हैं.

एमटीसीआर में शामिल होने के बाद भारत हाई-टेक मिसाइल का दूसरे देशों से बिना किसी बाधा के आयात कर सकता है और अमेरिका से ड्रोन भी खरीद सकता है और अपने मिसाइल किसी और देश को बेच सकता है.

3. वासेनार अरेंजमेंट: वासेनार अरेंजमेंट एक बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था है. इसका मकसद परंपरागत हथियारों और दोहरे उपयोग वाले वस्तु और प्रौद्योगिकी के निर्यात पर नियंत्रण करना है.

हथियारों के गैरजिम्मेदाराना विस्तार को रोकने में भारत की विश्वसनीयता का रिकॉर्ड और नरेन्द्र मोदी सरकार की विश्व में एक अच्छी छवि के कारण भारत को 8 दिसम्बर 2017 को इसकी सदस्यता मिली थी.

4. ऑस्ट्रेलिया ग्रुप: इराक द्वारा 1984 में रासायनिक हथियारों के उपयोग के बाद 1985 में ऑस्ट्रेलिया ग्रुप का गठन किया गया था.

इसका उद्देश्य सदस्य देशों को ऐसे निर्यातों को नियन्त्रित करने के लिए बढ़ावा देती है जिनका प्रयोग रासायनिक और जैविक हथियारों के विकास और निर्यात में किया जा सकता है.

भारत क्यों चाहता था वासेनार की सदस्यता

सरकार ने देश में हथियारों के उत्पादन के लिए ‘मेक इन इंडिया’ सहित कई योजनायें बनायी है. दरअसल भविष्य में भारत हथियारों का दुनिया का सबसे बड़ा आयत करने वाला देश ना होकर इसका निर्यात करने वाला एक प्रमुख देश बनाना चाहती है.

इस समूह में शामिल हो जाने के बाद भारत पारंम्परिक रूप से हथियारों के निर्माण करने और उन्हें बेचने की क्षमता रखने वाला देश हो जायेगा. इसके अलावा दूसरे देशों के साथ पारंपरिक हथियारों के निर्माण में आपसी सहयोग बढाने में सहायक होगा.

वासेनार का सदस्य बनने के बाद जहां एक तरफ भारत को महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी मिल पाएगी तो वहीं दूसरी तरफ परमाणु अप्रसार के क्षेत्र में एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने के बावजूद अप्रसार के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाएगा.