भारत और चीन के बीच 28 जुलाई को डोकलाम विवाद सुलझ गया। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक वार्ताओं के बाद सेनाएं हटाने पर सहमति बन गई। यह विवाद कई दिनों से लगातार चर्चा में बना हुआ था. आखिर क्या है डोकलाम जिसपर भारत और चीन के बीच अक्सर विवाद होता रहता है.

india china border dispute in doklam map

क्या है डोकलाम विवाद

डोकलाम एक पठार है जो भूटान के हा-घाटी, भारत के पूर्व सिक्किम जिला, और चीन के यदोंग काउंटी के बीच में है. यह एक ट्राई-जंक्शन (तिराहा) है, जहाँ भारत, चीन और भूटान की सीमा मिलती है. यह ट्राई-जंक्शन भारत के नाथुला पास से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी है. डोकलाम को भूटान और चीन दोनों अपना क्षेत्र मानता है. भारत डोकलाम को भूटान का हिस्सा मानता है.

विवाद की वजह क्या है

डोकलाम विवाद क्या है ये समझने के लिए चीन की मंशा को समझना होगा. चीन एक विस्तारवादी देश है. इसी विस्तारवादी सोच के तहत चीन के लगभग सभी पडोसी देशों के साथ विवाद चल रहा है. साल 1988 और 1998 में चीन और भूटान के बीच समझौता हुआ था कि दोनों देश डोकलाम क्षेत्र में शांति बनाए रखने की दिशा में काम करेंगे. इस समझौते को दरकिनार करते हुए 1988 के बाद से चीन, भूटान के कुछ क्षेत्र पर अतिक्रमण करता आ रहा है. लेकिन डोकलाम में अभी तक चीन की सेना (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) की कोई स्थायी उपस्थिति नहीं थी. पहली बार, चीन डोकलाम से ज़ूमली में भूटान आर्मी शिविर की ओर एक सपाट सड़क का निर्माण शुरू किया है. भूटान इस सड़क निर्माण का सैन्य तरीके से विरोध करने में सक्षम नहीं है. हालाँकि उन्होंने चीनी पक्ष को जमीनी और राजनयिक चैनलों के माध्यम से कई बार विरोध जता चुका है, कि भूटानी क्षेत्र के अंदर सड़क का निर्माण पहले के समझौतों का उल्लंघन है.

वर्तमान में डोकलाम पर भारत और चीन के बीच गतिरोध की शुरुआत तब हुई, जब 18 जून, 2017 को करीब 300 भारतीय सैनिक दो बुलडोज़र्स के साथ डोकलाम में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को सड़क बनाने से रोक दिया.

भारत क्यों शामिल है इस विवाद में?

वैसे तो भारत का इस क्षेत्र पर कोई दावा नहीं है. दरअसल इस क्षेत्र को लेकर चीन-भूटान के बीच में विवाद है. भारत और भूटान के बीच वर्ष 1949 में एक संधि हुई थी, जिसमें तय हुआ था कि भारत अपने पड़ोसी देश भूटान की विदेश नीति और रक्षा मामलों का मार्गदर्शन करेगा. भारत और भूटान के बीच वर्ष 2007 में एक और सैन्य सहयोग पर एक करार हुआ था. इस करार के अनुच्छेद 2 में कहा गया है: “भूटान और भारत के बीच घनिष्ठ दोस्ती और सहयोग के संबंधों को ध्यान में रखते हुए, भूटान और भारत सरकार अपने राष्ट्रीय हितों से संबंधित मुद्दों पर एक दूसरे का सहयोग करेगी.”

भारत के लिये चिंता का कारण

चुंबी घाटी में स्थित डोकलाम सामरिक दृष्टि से भारत और चीन के लिए काफी महत्वपूर्ण है. जैसा कि विदेश मंत्रालय के वक्तव्य में उल्लेख किया गया है कि चीन के सड़क बनाने से इलाके की मौजूदा स्थिति में अहम बदलाव आएगा. भारत इसे 2012 के एक आपसी समझौते का उल्लंघन मानता है. यह भारत की सिक्युरिटी के लिए ये गंभीर चिंता का विषय है. रोड निर्माण से चीन को भारत पर एक बड़ी सैन्य लाभ हासिल होगी. उसकी बड़ी वजह ये है कि अगर डोकलाम तक चीन की सुगम आवाजाही हो गई तो वह भारत को पूर्वोत्तहर राज्यों से जोड़ने वाली 20 किलोमीटर चौड़े इलाके पर चीन की बढ़त हो जाएगी. भारतीय सेना की भाषा में इस इलाके को चिकन नेक कहा जाता है. युद्ध की स्थिति में डोकलाम में कब्जा होने का लाभ चीन को मिलेगा जिसकी जद में सिलिगुडी से लेकर उसके आसपास का इलाका आ जाएगा. अगर चीन डोकलाम में अपनी तोपें तैनात करता है तो उसकी जद में भारत का चिकन नेक वाला इलाका आएगा, जिससे पूर्वोत्तर से शेष भारत के कटने का खतरा बना रहेगा.

डोकलाम का इतिहास क्‍या है?

तमाम विवादित मुद्दों पर इतिहास का संस्मरण देने वाला चीन डोकलाम मुद्दे पर भी कुछ ऐसा ही तर्क दे रहा है. चीन के अनुसार डोकलाम नाम का इस्तेमाल तिब्बती चरवाहे पुराने चारागाह के रूप में करते थे. चीन का ये भी दावा है कि डोकलाम में जाने के लिए 1960 से पहले तक भूटान के चरवाहे उसकी अनुमति लेकर ही जाते थे. हालांकि एतिहासिक रूप से इसके कोई प्रमाण मौजूद नहीं हैं.

डोकलाम पर क्या है वर्तमान स्थिति

indian and chinese troops in doklam

करीब 70 दिनों से चला आ रहा डोकलाम विवाद 28 अगस्त को सुलझ गया है। दोनों देशों के बीच चल रही कूटनीतिक वार्ताओं के बाद सेनाएं हटाने पर सहमति बन गई।

विवादित डोकलाम क्षेत्र में चीनी सेना द्वारा सड़क बनाकर इस त्रिकोणीय सीमा क्षेत्र में इकतरफा ढंग से यथास्थिति में बदलाव के प्रयास को रोकने के लिये भारतीय सेना ने 16 जून को आगे बढ़कर चीनी सेना को रोक लिया था। इस गतिरोध के बाद 28 अगस्त को दोनों देशों की सेनाएं वापस लौट गईं और इस प्रकार से 16 जून के पहले की स्थिति बहाल हो गई।

भूटान ने चीनी सेना के इस कदम को उसकी जमीन को चीन द्वारा हड़पे जाने के प्रयास के तौर पर देखा था और चीनी सैनिकों द्वारा खदेड़े गए भूटानी सैनिकों ने मदद के लिये भारतीय सेना को बुलाया था। भारत एवं भूटान के बीच रक्षा संबंधी समझौते के आधार पर भारत ने चीनी सेना को चुनौती दी थी।

बड़ी कूटनीतिक जीत

यह निश्चित रूप से भारत की कूटनीतिक जीत है। इस विवाद के निपटारे से क्षेत्रीय सुरक्षा और शांति की स्थापना में मदद मिलेगी। चीन की ओर से जिस तरह से लगातार युद्ध की धमकी दी जा रही थी उससे माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया था। लेकिन भारत लगातार अपनी ओर से संयम बनाए रहा। भारत ने कूटनीतिक विकल्पों को खुला रखा इससे विवाद निपटाने में मदद मिली।

डोकलाम पर भारत और चीन का तर्क

चीन का दावा: चीन ने डोकलाम को विवादित स्थल के बजाय अपना बताया है। उसका कहना है कि भारत ने वहां निर्माण रुकवाकर उसकी संप्रभुता पर सवाल उठाया है।

भारतीय पक्ष: चीन ने जब डोकलाम में रोड बनाना शुरू किया, तो भूटान ने भारतीय सेना से मदद मांगी। डोकलाम भूटान का हिस्सा है और यह ट्राई जंक्शन है जहां तीनो पक्षों की सहमति के बिना कोई बदलाव नहीं हो सकता।

डोकलाम पर अंतरराष्ट्रीय पक्ष

अमेरिका

अमेरिका ने कहा कि तीनों देशों की सीमाओं के तिराहे पर यथास्थिति बहाल की जाय। इस तरह से उसने चीन के सड़क निर्माण का विरोध किया।

जापान

जापान डोकलाम विवाद पर खुलकर भारत के पक्ष आया। चीन की धमकियों पर भारत में जापान के राजदूत ने कहा था कि किसी को भी बल प्रयोग कर यथास्थिति को नहीं बदलना चाहिए।

भूटान

चीन ने झूठ फैलाया कि भूटान ने डोका ला को चीन का हिस्सा मान लिया है। लेकिन भूटान के विदेश मंत्रालय ने तुरंत कहा कि यह सड़क का निर्माण संधियों का खुला उल्लंघन है।

नेपाल

नेपाल के उप प्रधानमंत्री कृष्ण बहादुर महारा ने कहा था कि सीमा विवाद पर नेपाल न ही इस पक्ष रहेगा और न ही उस पक्ष। भारत और चीन शांतिपूर्ण तरीके से हल खोजें।

पाकिस्तान

18 जुलाई को पाक मीडिया ने दावा कर दिया कि चीनी सेना ने डोकलाम में आक्रमण कर 158 भारतीय सैनिकों को मार दिया। इस झूठी खबर से पाक बेनकाब हुआ।

डोकलाम तनाव: घटनाक्रम

  • 16 जून: में डोकलाम भारत और चीन के बीच उस समय तनाव की वजह बन गया जब चीन ने यहां पर सड़क बनाने की कोशिश की। भारत की सेना की ओर से इसका विरोध किया गया।
  • 18 जून: भारतीय सेनाओं ने इस सीमा को पार करके वहां पर हो रहे सड़क निर्माण के कार्य को रोक दिया।
  • 19 जून: भारत ने चीन पर आरोप लगाया कि डोकलाम में सड़क निर्माण के जरिए चीन ने शांति समझौते का उल्लंघन करने की कोशिश की है। चीन ने भारत पर इसकी सीमा को पार करने का आरोप लगाया।
  • 20 जून: भूटान के राजदूत ने चीन की ओर से उसके क्षेत्र में हुई घुसपैठ का विरोध दर्ज कराया।
  • 23 जून: चीन ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले भारतीय तीर्थयात्रियों पहले जत्थे को रोक दिया।
  • 28 जून: सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सिक्किम का दौरा किया और डोकलाम ट्राइ जंक्शन पर हालातों का जायजा लिया।
  • 29 जून: चीन ने 35 टन के मिलिट्री टैंक को नाथूला बॉर्डर के पास टेस्‍ट किया।
  • 30 जून: रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा, “चीन अब जान ले कि आज का भारत सन् 1962 के भारत से काफी अलग है।” चीन ने कहा “चीन भी 1962 वाला चीन नहीं है।”
  • 6 जुलाई: चीन ने जी-20 शिखर सम्मेलन में होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मीटिंग को कैंसिल कर दिया।
  • 20 जुलाई: चीनी मीडिया ने युद्ध की धमकी दी और कहा कहा ‘हिन्दू राष्ट्रवाद’ ने पीएम नरेंद्र मोदी की चीन नीति को प्रभावित किया है।
  • 20 जुलाई: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा भारत-चीन के साथ सीमा विवाद का हल बातचीत के जरिये करना चाहता है। इसके लिए पहले दोनों देशों को डोकलाम से अपनी सेनाओं को पीछे हटाना होगा।
  • 27 जुलाई: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोवाल ने ब्रिक्स देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की बैठक से अलग चीनी एनएसए और स्टेट काउंसलर यांग जेची से बातचीत की।
  • 02 अगस्त: चीनी विदेश मंत्रालय ने 22 मार्च 1959 को जवाहरलाल नेहरू द्वारा चाउ एन लाइ को 1890 एंग्लो-चीनी सम्मेलन में हुये समझौते का समर्थन लिखे पत्र का हवाला देते हुये कहा है, कि डोकलाम पर न तो भूटान का न ही भारत का दावा बनता है।
  • 8 अगस्त: रक्षा मंत्री जेटली ने कहा कि भारत की सेनाएं किसी भी तरह के युद्ध के लिए तैयार हैं।
  • 10 अगस्त: भूटान ने डोकलाम को चीन का हिस्सा मानने वाले चीन के बयान को गलत करार दिया। चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से दावा किया गया था कि सिक्किम सेक्टर में पड़ने वाले डोकलाम को भूटान ने चीन का हिस्सा मानने को तैयार हो गया है।
  • 15 अगस्त: पेंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर चीनी सेना ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश की। नाकाम होने के बाद चीनी सैनिकों ने पत्थरबाजी शुरू की। चीन ने कहा उसे इस घटना की कोई जानकारी नहीं।