International Solar Alliance

क्या है अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन?

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance-ISA) सौर ऊर्जा पर आधारित एक सहयोग संगठन है. इसका शुभारंभ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व फ्राँस फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री फ्रांस्वा ओलांद द्वारा 30 नवंबर 2015 को संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के दौरान पैरिस में किया गया था.

यह संगठन पहले ‘इंटरनेशनल एजेंसी फॉर सोलर टेक्नोलॉजीज़ एंड एप्लीकेशन्स’ (International Agency for Solar Technologies & Applications-INSTA) नाम से जाना जाता था.

ISA का मुख्यालय

इस संगठन का अंतरिम सचिवालय राष्ट्रीय सौर उर्जा संस्थान, ग्वालपहाड़ी, गुड़गांव (हरियाणा) में बनाया गया है. 25 जनवरी 2016 को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी और फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री फ्रांस्वा ओलांद ने संयुक्त रूप से ISA मुख्यालय की आधारशिला रखी थी.

ISA ऐसा पहला अंतर्राष्ट्रीय और अंतर-सरकारी संगठन है जिसका मुख्यालय भारत में है.

ISA के सदस्य देश

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन कर्क और मकर रेखा के मध्य आंशिक या पूर्ण रूप से अवस्थित 121 सौर संसाधन संपन्न देशों का एक अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन है जहाँ धूप की उपलब्धता बहुलता में है.

गिनी द्वारा 15वें देश के रूप में 6 नवंबर, 2017 को समझौते के प्रारूप के अनुमोदन करने के बाद अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन संधि आधारित अंतरराष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन (Treaty-based International Intergovernmental Organization) बन गया है.

ISA में भारत की भूमिका

ISA भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई पहल का परिणाम है जिसकी घोषणा उन्होंने सर्वप्रथम लंदन के वेंबली स्टेडियम में अपने उद्बोधन के दौरान की थी.

भारत सरकार ने 2016-17 से 2020-21 तक ISA हेतु कोष, बुनियादी ढ़ाँचा निर्माण और अन्य व्यय के लिये 5 वर्ष में 2.7 करोड़ डॉलर का सहयोग प्रदान करने की प्रतिबद्धता जताई है.

भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) और भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्था (IREDA) द्वारा ISA कोष बनाने के लिये अलग-अलग 10 लाख डॉलर का योगदान किया गया है. इसके अलावा भारत सरकार ने राष्ट्रीय सौर उर्जा संस्थान कैंपस के अंदर अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन मुख्यालय के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित की है.

ISA के प्रमुख उद्देश्य

इस संगठन का उद्देश्य सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करना है. ऐसे देश जो पूरी तरह या आंशिक तौर पर कर्क रेखा और मकर रेखा के मार्ग में पड़ते है एवं सौर ऊर्जा के मामले में समृद्ध हैं, उनसे बेहतर तालमेल के ज़रिये सौर ऊर्जा की मांग को पूरा करना है.

आईएसए का उद्देश्य सूर्य की बहुतायत ऊर्जा को एकत्रित करने के साथ देशों को एक साथ लाना है. यह सौर ऊर्जा के विकास और उपयोग में तेज़ी लाने की एक नई शुरुआत है ताकि वर्तमान और भावी पीढ़ी को ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त हो सके.

ISA की योजना और लक्ष्य

इसके सदस्य देशों द्वारा ऐसे वित्तीय तंत्र की स्थापना करने का प्रयास किया जा रहा है जिसकी सहायता से सस्ती सौर ऊर्जा तकनीकों के इस्तेमाल हेतु बाज़ार तैयार किया जा सके.

जलवायु परिवर्तन की प्रतिबद्धता के एक भाग के रूप में, भारत ने वर्ष 2022 तक अपनी ऊर्जा संबंधी आवश्यकताओं का 40 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

ISA फ्रेमवर्क के अनुसार, वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा क्षमता और उन्नत व स्वच्छ जैव-ईंधन प्रौद्योगिकी सहित स्वच्छ ऊर्जा के लिये शोध और प्रौद्योगिकी तक पहुँच बनाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने तथा ऊर्जा अवसंरचना और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी में निवेश को बढ़ावा देने का लक्ष्य तय किया गया है.

अंतरराष्ट्रीय सौर ऊर्जा गठबंधन का स्थापना सम्मेलन

प्रथम अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का संस्थापन सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित किया गया था.  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों ने 11 मार्च 2018 को राष्ट्रपति भवन में इस सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की थी.

इस एक दिवसीय सम्मेलन में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैयूएल मैक्रोन समेत ISA के 58 सदस्य देशों के शासनाध्यक्षों एवं राष्ट्राध्यक्षों के अलावा संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि,बहुराष्ट्रीय विकास बैंकों एवं वैश्विक कोषों, वित्तीय संस्थाओं, ऊर्जा से जुड़ी अन्य संस्थाओं,कॉरपोरेट जगत एवं सिविल सोसाइटी के प्रमुख ने हिस्सा लिया था.

मिर्जापुर में सौर ऊर्जा संयंत्र का उदघाटन

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉ ने उत्‍तर प्रदेश में मिर्जापुर के दादरकला गांव में 101 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र का संयुक्‍त रूप से उदघाटन किया था. इस सौर परियोजना की स्थापना फ्रांस की कंपनी ENGIIE  ने स्‍थापित की है.

यह परियोजना देश की सबसे बडी सौर परियोजना है.  इसकी स्‍थापना के लिए फ्रैंच कंपनी एनजी के साथ वर्ष 2016 में करार हुआ था.