MRSAM मिसाइल का परीक्षण

भारत ने 18 मई को मध्‍यम दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल (MRSAM) का सफल परीक्षण किया. भारतीय नौसेना के पोत ‘कोच्चि’ और ‘चेन्‍नई’ ने पश्चिमी समुद्र तट पर यह परीक्षण किया. इस मिसाइल का परीक्षण भारतीय नौसेना, DRDO और इजरायल एयरोस्‍पेस इंडस्‍ट्रीज के द्वारा किया गया. MRSAM के सफल परीक्षण से भारतीय नौसेना ने अपनी वायु युद्ध प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी की दिशा में अहम कामयाबी हासिल की है.

MRSAM मिसाइल: एक दृष्टि

  • MRSAM, मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल का संक्षिप्त रूप हैं.
  • MRSAM मिसाइल को DRDO ने इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर डिजाईन किया है.
  • इसका निर्माण भारत डायनामिक्स लिमिटेड ने किया है.
  • ये मिसाइलें भविष्य में भारतीय नौसेना के सभी प्रमुख युद्धपोतों पर तैनात होंगी.
  • यह मिसाइलें कोलकाता श्रेणी के विध्वंसकों से लैस हैं.
  • यह 2469.6 किमी प्रति घंटे की गति से दुश्मन पर कर हमला सकती है.
  • यह मिसाइल 14.76 फीट लंबी और 276 किलोग्राम वजनी है.
  • यह मिसाइल 70 किमी के दायरे में आने वाली मिसाइलों, लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोनों, निगरानी विमानों को मार गिराएगी.
  • यह हवा से एकसाथ आने वाले कई दुश्मनों पर 360 डिग्री में घूमकर एकसाथ हमला कर सकती है.

इजरायल से MRSAM का समझौता
DRDO ने MRSAM मिसाइल के लिए इजरायल एयरोस्‍पेस इंडस्‍ट्रीज (IAI) के साथ 17 हजार करोड़ रुपये के करार पर दस्तखत किए हैं. इसके तहत 40 लॉन्चर्स और 200 मिसाइलें तैयार होंगी. एमआरएसएएम को आईएनएस विक्रांत और नेवी के कोलकाता-क्लास डेस्ट्रॉयर्स पर इंस्टॉल किया जाएगा. अमेरिका और रूस के साथ अब इजरायल भी भारत के लिए हथियारों का सबसे बड़ा सप्लायर बन गया है.

रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम
इससे पहले भारत ने रूस के साथ एस-400 डिफेंस मिसाइल सिस्टम की खरीद के लिए समझौता किया था. यह देश को होस्टाइल जेट, बम, ड्रोन और मिसाइलों से बचा सकता है. भारत इसे पाकिस्तान और चीन से लगी सीमा पर तैनात कर सकता है.