हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमोन्स्ट्रेटर व्हीकल का परीक्षण

भारत ने 12 जून को हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमोन्स्ट्रेटर व्हीकल (Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle- HSTDV) का परीक्षण किया. यह परीक्षण रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान (DRDO) द्वारा उड़ीसा के डॉ. अब्दुल कलाम आईलेंड से किया गया. यह तकनीक अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन के पास है.

इस परीक्षण में 1 टन वज़नी और 18 फीट लंबे इस एयर-व्हीकल को ‘अग्नि-1’ मिसाइल से लॉन्च किया गया. परीक्षण में HSTDV को एक ख़ांस ऊंचाई तक पहुंचाने के बाद इसके स्क्रैमजेट इंजन अपने आप चालू होकर 6 मैक की रफ्तार तक पहुँचना था.

DRDO का HSTDV प्रोग्राम: एक दृष्टि

  • HSTDV प्रोग्राम को अपने हाइपरसोनिक मिसाइलों के निर्माण के लिए DRDO पिछले दो दशक से काम कर रहा है.
  • इसमें स्क्रैमजेट (SCRAMJET) इंजन का इस्तेमाल होता है जिससे रफ्तार 6 मैक (ध्वनी की गति से 6 गुणा अधिक तेज़) तक हासिल की जा सकती है.
  • HSTDV के माध्यम से भविष्य में न केवल हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों बनाने में इस्तेमाल होगा बल्कि इसके ज़रिये काफ़ी कम खर्च में सैटेलाइट लॉन्चिंग भी की जा सकेगी.
  • रूस, अमेरिका औऱ चीन के बाद केवल भारत ऐसा देश है जिसने इस तकनीक को विकसित किया है.
  • भारत ने रूस के सहयोग से सुपरसोनिक यानी आवाज़ की रफ्तार से ज्यादा तेज़ उड़ने वाली ब्रह्मोस मिसाइल बनाने में क़ामयाबी पाई है.
  • ब्रह्मोस मिसाइल की रफ्तार 2.8 मैक तक हो सकती है.