भारत ने चार आधार इकाइयों को फिर से परिभाषित करने के वैश्विक प्रस्ताव को स्वीकार किया

भारत ने सात आधार इकाइयों में से चार को फिर से परिभाषित करने के वैश्विक प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है. ये आधार इकाई हैं- किलोग्राम (भार की SI इकाई), केल्विन (तापमान की SI इकाई), मोल (पदार्थ की SI इकाई), और एम्पीयर (वर्तमान की SI इकाई) है. अन्य आधार इकाइयां सेकंड, मीटर और कंडेला हैं.

पुनः परिभाषित इकाई 20 मई 2019 से लागू

नयी परिभाषित इकाई 20 मई 2019 से यानि विश्व मेट्रोलोजी दिवस (WMD) के रूप में दुनिया भर में लागू हो गया है. प्रत्येक इसी दिन विश्व मैट्रोलोजी दिवस मनाया जाता है क्योंकि 20 मई 1875 को सत्रह देशों के प्रतिनिधियों द्वारा मीटर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए थे.

इकाइयों को फिर से परिभाषित करने का प्रस्ताव: मुख्य बिंदु

  • 100 से ज्यादा देशों ने माप की मीट्रिक प्रणाली को अपनाया जिसे इंटरनैशनल सिस्टम ऑफ यूनिट्स (SI) के तौर पर भी जाना जाता है जो 1889 से चलन में है.
  • देश के प्राचीनतम वैज्ञानिक संस्थानों में एक नैशनल फीजिकल लैबरेटरी (NPL) ने इन प्रस्तावित बदलावों को भारतीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) को वर्तमान पाठ्यक्रमों में लागू करने की सिफारिश की है.
  • अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE), भारतीय तकनीकी संस्थान (IITs), राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान (NITs) समेत अन्य शैक्षिक संस्थानों को भी अपने-अपने पाठ्यक्रमों में ये बदलाव करने की सिफारिश की.

पैरिस में आयोजित CGPM में प्रस्ताव को पारित किया गया था

पैरिस में 16 नबंवर 2018 को हुए अन्तर्राष्ट्रीय बाट एवं माप ब्यूरो (BIPM) की जनरल कॉन्फ्रेंस ऑन वेट्स ऐंड मेजर्स (CGPM) में 60 देशों के प्रतिनिधियों ने सात आधार इकाइयों में से चार को फिर से परिभाषित करने के प्रस्ताव को पारित किया था.

पुनः परिभाषित इकाई का प्रभाव

इन नई परिभाषाओं से हालांकि अधिकतर लोगों के जीवन पर कोई खास असर नहीं होगा और बाजारों में किलो के बाट वहीं रहेंगे. लेकिन विज्ञान के प्रयोगों में इसका काफी असर होगा, क्योंकि वहां सटीक माप की जरूरत होती है. कुछ साल पहले इस एक किलो के बाट में 30 माइक्रोग्राम का फर्क आया था. ये फर्क एक किलोग्राम में चीनी में लगभग एक चीनी के दाने जितना है, लेकिन विज्ञान की दुनिया के लिए ये फर्क बहुत बड़ा है.

किलोग्राम की वर्तमान परिभाषा: फ्रांस की राजधानी पेरिस में रखे प्लेटिनम-इरीडियम मिश्र-धातु के बने एक सिलेंडर के द्रव्यमान को किलोग्राम की परिभाषा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. इसे ‘ली ग्रांड के’ के नाम से भी जाना जाता है. यह साल 1889 से विश्व का एकमात्र वास्तविक किलोग्राम माना जाता रहा है.