गिरीश कर्नाड का निधन

जाने-माने फिल्म और रंगमंच अभिनेता और लेखक गिरीश कर्नाड का 10 जून को बेंगलूरू में निधन हो गया. वे 81 वर्ष के थे. 1961 में प्रकाशित नाटक ययाति से चर्चा में आए कर्नाड को फिल्म और रंगमंच अभिनेता और निर्देशक और एक लेखक के रूप में अपार ख्याति मिली.

पुरस्कार और सम्मान: उन्हें साहित्य अकादमी और कालीदास सम्मान से नवाजा गया था. उन्हें 1974 में पद्म श्री और वर्ष 1992 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया. कन्नड़ साहित्य के सृजनात्मक लेखन के लिए उन्हें वर्ष 1998 में भारत के सर्वाधिक प्रतिष्ठित ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया.

गिरीश कर्नाड के जाने-माने नाटक और कृतियां: उनके प्रसिद्ध नाटकों में ययाति, हयवदना, तुगलक, ‘नगा मंडला’(1988), हयवदन, अंजु मल्लिगे, अग्निमतु माले, अग्नि और बरखा और ‘तलेडेंगा’ आदि शामिल हैं. उनके ‘तुगलक’ नाटक का अंग्रेजी समेत विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया.

सिनेमा: मलगुडी डेज़, निशांत’ , मंथन, स्वामी, पुकार, इकबाल, डोर, आशायें, टाइगर ज़िंदा है, वामश्रुवक्ष, तबबली निनादे मगाने, ओदानन्दु कालदल्ली, कोवेम्पु लिखित के कानुरोहे गड़ती और राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित काडु ने सिनेमा जगत में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. बॉलीवुड में उनकी पहली फिल्म साल 1974 में आई ‘जादू का शंख’ थी. उनकी अंतिम फिल्म कन्नड़ भाषा में बनी ‘अपना देश’ थी. उनकी आखिरी हिंदी फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ थी जिसमें उन्होंने डॉ. शेनॉय का किरदार निभाया था.