सरकार ने 1874 करोड़ की शत्रु संपत्ति का विक्रय किया

सरकार ने अप्रैल 2019 में 1874 करोड़ रुपए मूल्य की शत्रु संपत्ति बेची है. यह पहला मौका है जब सरकार ने शत्रु संपत्ति बेची है. सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 90,000 करोड़ रुपए के विनिवेश का लक्ष्य रखा है. सरकार वर्ष के लिए तय विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए शत्रु संपत्ति की बिक्री प्रक्रिया में तेजी लाना चाहती है.
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मार्च 2019 में ‘कस्टोडियन आफ एनिमी प्रोपर्टी फार इंडिया (सीईपीआई)’ के अंतर्गत आने वाली शत्रु संपत्ति को बेचने की प्रक्रिया को मंजूरी दी थी.

क्या है शत्रु संपत्ति?

शत्रु संपत्तियां भारत में उन लोगों द्वारा छोड़ी गईं संपत्तियां हैं जो जिन्होंने पाकिस्तान और चीन की नागरिकता ले ली. पाकिस्तानी नागरिकों की ऐसी 9,280 संपत्तियां हैं जबकि चीनी नागरिकों द्वारा 126 संपत्तियां यहां छोड़ी गई हैं. सरकार इन लोगों की संपत्ति को बेचकर सरकारी खजाने में शामिल कर रही है. यह नियम इंग्लैंड जैसे कई देशों में लागू है.

शत्रु संपत्तियां: एक दृष्टि

  • शत्रु संपत्तियां भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए या फिर 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद चीन चले गए लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्तियां हैं.
  • पाकिस्तानी नागरिकता लेने वाले लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्तियों में से 4,991 उत्तर प्रदेश में स्थित हैं जो देश में सबसे ज्यादा हैं. पश्चिम बंगाल में ऐसी 2,735 संपत्तियां हैं जबकि दिल्ली में 487 संपत्तियां हैं.
  • चीनी नागरिकों द्वारा छोड़ी गई सबसे ज्यादा संपत्तियां मेघालय में हैं जहां ऐसी 57 संपत्तियां हैं. पश्चिम बंगाल में ऐसी 29 और असम में सात संपत्तियां हैं.
  • शत्रु संपत्तियों का अनुमानित मूल्य लगभग एक लाख करोड़ रुपए है.

शत्रु सम्पत्ति अधिनियम, 1968

‘शत्रु संपत्ति (संरक्षण एवं पंजीकरण) अधिनियम-1968’ भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जिसके अनुसार शत्रु सम्पत्ति पर भारत सरकार का अधिकार होगा. यह अधिनियम पाकिस्तान से 1965 में हुए युद्ध के बाद 1968 में पारित हुआ था.

इस अधिनियम के अनुसार जो लोग बंटवारे या 1965 में और 1971 की लड़ाई के बाद पाकिस्तान चले गए और वहां की नागरिकता ले ली थी, उनकी सारी अचल संपत्ति ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित कर दी गई. उसके बाद पहली बार उन भारतीय नागरिकों को संपत्ति के आधार पर ‘शत्रु’ की श्रेणी में रखा गया, जिनके पूर्वज किसी ‘शत्रु’ राष्ट्र के नागरिक रहे हों.