आर्थिक समीक्षा 2018-19

केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने 4 जुलाई को संसद में 2018-19 की आर्थिक समीक्षा प्रस्तुत की.

आर्थिक समीक्षा क्या होता है? यार्थिक समीक्षा, आम तौर पर बजट से एक दिन पहले जारी किया जाता है. इसमें पिछले एक साल में देश की अर्थव्‍यवस्‍था के विभिन्‍न पहलुओं का लेखा-जोखा और मुख्‍य विकास कार्यक्रमों का सार दिया जाता है. इसके अलावा यह सर्वेक्षण भविष्‍य में बनाई जाने वाली नीतियों के लिए भी एक दृष्टिकोण का काम करता है.

आर्थिक समीक्षा 2018-19 के मुख्य बिदुं:

  • वर्ष 2019-20 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है. भारतीय अर्थव्यवस्था 2018-19 में 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है. 2025 तक भारत को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रति वर्ष 8% की दर से GDP वृद्धि की आवश्यकता है.
  • पिछले पांच वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया है. चालू खाता घाटा काबू करने लायक स्तर पर बना रहा तथा विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया.भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी है. 2018 में वृद्धि दर के मामले में चीन को पीछे कर दिया है.
  • 2018-19 के लिए राजकोषीय घाटा GDP का 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है. देश में अनाज उत्पादन 28 करोड़ 34 लाख टन रहने का अनुमान है. वर्ष 2018-19 में आयात 15.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा जबकि निर्यात की वृद्धि दर 12 दशमलव पांच प्रतिशत रहेगी. राजकोषीय वर्ष 2018-19 में विदेशी मुद्रा भंडार 41 खरब 29 अरब डॉलर रहने का अनुमान है.
  • भारत की जनसंख्या वृद्धि दर 2021-31 के दौरान 1 प्रतिशत से कम और 2031-41 के दौरान 0.5 प्रतिशत से नीचे रहेगी. जनसंख्या में 0-19 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं की संख्या 2011 के उच्चतम स्तर 41 प्रतिशत से घटकर 2041 में 25 प्रतिशत रह जाएगी. आबादी में 60 वर्ष आयु वर्ग वाले लोगों की संख्या 2011 के 8.6 प्रतिशत से बढ़कर 2041 तक 16 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी. सेवानिवृत्ति की उम्र चरणबद्ध ढंग से बढ़ाने की बात भी कही गई है.
  • मार्च, 2018 और दिसंबर, 2018 के बीच अनुसूचित वाणिज्य बैंकों का सकल एनपीए अनुपात 11.5 प्रतिशत से घटकर 10.1 प्रतिशत हो गया.