शहीदी दिवस

प्रत्येक वर्ष 23 मार्च को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. 23 मार्च 1931 को ही भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर जेल में फांसी दी गई थी.

13 अप्रैल साल 1919 जलियावाला बाग में हुए भीषण नरसंहार ने भगतसिंह के अंदर चिंगारी को भड़का दिया. लाहौर के नेशनल कॉलेज़ छोड़ भगत सिंह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसिएशन नाम के एक क्रांतिकारी संगठन से नाता जोड़ लिया.

क्रांति के पथ पर भगत सिंह को महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का साथ मिला. साइमन कमीशन के विरोध करने के दौरान लाला लाजपत राय की बेरहमी से हत्या कर दी गई इसका बदला लेने के लिए सांडर्स की हत्या की योजना बनाई गई. लाला लाजपतराय की हत्या का बदला लेने के लिए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन ने भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, आज़ाद और जयगोपाल को यह काम दिया गया.

क्रांतिकारियों ने 17 दिसंबर 1928 को साण्डर्स को मारकर लालाजी की मौत का बदला लिया. 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ सेंट्रल असेंबली में बम फेंका. धमाके के बाद वो कहीं भागे नहीं बल्कि अपनी गिरफ्तारी दी.