Atal Bihari Vajpayee 1924-2018

अटल बिहारी वाजपेयी

भारत के इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) संघ की विचारधारा में पले-बढ़े अटल जी राजनीति में उदारवाद और समता एवं समानता के समर्थक माने जाते हैं. वे भारत माता के एक ऐसे सपूत थे, जिन्होंने स्वतंत्रता से पूर्व और पश्चात अपना जीवन सिर्फ और सिर्फ देश और देशवासियों के उत्थान एवं कल्याण हेतु जिया.

श्री अटल बिहारी बाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. उनके पिताजी का नाम श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी एवं आपकी माताजी का नाम कृष्णा देवी था. उनके पिता एक स्कूल में शिक्षक थे. अटल जी सात भाई थे. वैसे मूलत: उनका संबंध उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के बटेश्वर गांव से है लेकिन, पिताजी मध्य प्रदेश में शिक्षक थे. इसलिए उनका जन्म वहीं हुआ.

अटल जी का व्यक्तिगत जीवन

राजनीतिक सेवा का व्रत लेने के कारण वे आजीवन कुंवारे रहे. उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के लिए आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया था. उन्होंने राजकुमारी कौल और बीएन कौल की बेटी नमिता को गोद लिया था. उनका अपना परिवार उनके साथ रहता था। भारत के राजनीतिक इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण व्यक्तित्व शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है. उनकी पहचान एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रशासक, भाषाविद, कवि, पत्रकार व लेखक के रूप में है.

अटल जी का शैक्षणिक जीवन

अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर के बारा गोरखी के गवर्नमेंट हायर सेकण्ड्री विद्यालय से ली उसके बाद विक्टोरिया कॉलेज जो कि अब लक्ष्मीबाई कॉलेज के नाम से जाना जाता है से की. इसके बाद अटल जी ने कानपूर के दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज से राजनीतिक विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। पढाई पूरी करने के बाद उन्होंने पत्रकारिता में अपने करियर का आरम्भ किया. उन्होंने राष्ट्र धर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि समाचार पत्रों का संपादन किया.

अटल जी का राजनैतिक जीवन

अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत आर्य कुमार सभा से की जो कि आर्य समाज की एक इकाई है. और बाद में सन 1944 को अटल जी इसी आर्य कुमार सभा के महासचिव चुने गए. इसी बीच 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में उन्होंने बड़े-बड़े नेताओं के साथ स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन में हिस्सा लिया और जेल भी गए. इसी आन्दोलन के दौरान अटल जी की मुलाकात जनसंघ के संस्थापक श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेतृत्व में उन्होंने राजनीती की बारीकियां सीखी और उनके विचारों को आगे बढ़ने लगे. अटल बिहारी बाजपेयी भारतीय जन संघ के संस्थापक सदस्यों भी थे. 1951 में जनसंघ से जुड़ने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी और राजनीति में अपना कैरियर बनाया. श्री मुखर्जी जी की मृत्यु के पश्चात भारतीय जनसंघ की कमान अटल जी के हाथ में आ गयी.

संसद का सफ़र

  • अटल बिहारी वाजपेयी ने सबसे पहले 1955 में लखनऊ में हुए एक लोकसभा का उपचुनाव लड़ा था जो की वो हार गए थे.
  • 1957 में हुए दूसरी लोकसभा चुनाव में बलरामपुर लोकसभा (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से वह पहली बार सांसद चुने गये. यह चुनाव उन्होंने जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में लड़ा था.
  • सन 1968 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु के पश्चात अटल जी को जनसंघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया और 1973 तक वो भारतीय जन संघ के अध्यक्ष रहे.
  • 1977 में जनसंघ और भारतीय लोकदल के गठबधन की सरकार बनी और जनसंघ का नाम बदल कर जनता पार्टी रखा गया और उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया. 1979 में मोरारजी देसाई ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी का विघटन हो गया.
  • 1980 में अटल बिहारी बाजपेयी ने लालकृष्ण आडवानी और भैरो सिंह शेखावत के साथ मिल कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बनायीं. अटल जी 1980 से 1986 तक वो भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर रहे.
  • 1984 में हुआ लोकसभा चुनाव अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में लड़ा गया था और बीजेपी को मात्र दो ही सीटे मिली थी.
  • 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने भारी बढ़त के साथ कुल 85 सीटें जीती और एक बार फिर राजनीति में वापसी की.
  • सन् 1962-67 और 1986-91 के दौरान अटल जी राज्य सभा के सम्मानित सदस्य थे.

संयुक्त राष्ट्र को हिन्दी में संबोधन

अटल बिहारी वाजपेयी भारत के ऐसे पहले नेता थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिन्दी में भाषण दिया था. उन्होंने वर्ष 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली सरकार में बतौर विदेश मंत्री पहली बार यूएनजीए के 32वें सत्र को संबोधित किया था. वाजपेयी धाराप्रवाह अंग्रेजी बोल सकते थे, अपने भाषण के लिए हिन्दी के चयन के पीछे उनका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय पटल पर हिन्दी को उभारना था.

बतौर विदेशमंत्री एवं प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सात बार संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) को संबोधित किया. इस भाषण में वाजपेयी ने परमाणु निरस्त्रीकरण, सरकार प्रायोजित आतंकवाद और विश्व संस्था में सुधार जैसे अहम मुद्दों पर बेहद प्रभावी तरीके से भारत का रुख स्पष्ट किया था.

अटल जी की प्रमुख रचनायें

उनकी कुछ प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ इस प्रकार हैं:

  1. मृत्यु या हत्या
  2. अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
  3. कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
  4. संसद में तीन दशक
  5. अमर आग है
  6. कुछ लेख: कुछ भाषण
  7. सेक्युलरवाद
  8. राजनीति की रपटीली राहें
  9. बिन्दु बिन्दु विचार, इत्यादि.
  10. मेरी इक्यावन कविताएँ

अटल जी राष्ट्र धर्म (मासिक), पाञ्चजन्य (साप्ताहिक), स्वदेश (दैनिक), और वीर अर्जुन (दैनिक), पत्र-पत्रिकाओं के संपादक भी रह चुके हैं.

अटल जी का प्रधानमंत्री का सफ़र

  1. वर्ष 1996 में हुए 13वी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 161 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप संसद पहुंची. अटल बिहारी बाजपेयी ने पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. लेकिन लोकसभा बहुमत परीक्षण में सरकार को पर्याप्त बहुमत न होने कारण प्रधानमंत्री बाजपेयी ने अपने पद से इस्तीफा से दिया. यह सरकार मात्र 13 दिन चली.
  2. सन 1996 से 1998 तक भारतीय राजनीति में उथल-पुथल मची रही और कोई भी पार्टी स्थायी सरकार न बना पाई. इस बीच बीजेपी ने कई अन्य दलों के साथ मिलकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) बनाया. इस गठबंधन ने सरकार बनायीं और इस दौरान अटल बिहारी बाजपेयी 13 महीने तक भारत के प्रधानमंत्री रहे.
  3. 1999 में हुए 14वी लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 298 सीटें जीतने में सफलता पाई. अटल जी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और पूरे कार्यकाल तक सरकार चलायी.

15वी लोकसभा के चुनाव 2004 में हुए. इस चुनाव में एनडीए एक बार फिर बहुमत पाने में विफल रहे. अटल जी ने राजनीति से सन्यास ले लिया.

भारत ने पांच परमाणु परीक्षण किए

दृढ़ और मजबूत इच्छा-शक्ति के धनी अटल बिहारी वाजपेयी की ही देन है कि 11 मई 1998 का दिन भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है. इस दिन भारत ने तीन परमाणु परीक्षण किए थे. दो दिन बाद और दो परमाणु परीक्षण किए गए. ये परीक्षण राजस्थान के जैसलमेर स्थित पोखरण से किये गये थे. इस परीक्षण को ‘ऑपरेशन शक्ति’ नाम दिया गया था. अटल जी का यह दबंग स्टाइल ही था कि इन परीक्षणों के बाद उन्होंने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र घोषित करने में कोई देर नहीं लगाई. इस तरह अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, फ्रांस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला छठा देश बन गया. यही नहीं इन परमाणु परीक्षण के बाद पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर अनेक प्रतिबंध लगाए गए लेकिन वाजपेयी सरकार ने सबका दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊचाईयों को छुआ. यह परमाणु परीक्षण इसलिए अहम था, क्योंकि इसने पूरी दुनिया के सामने भारत की छवि को बदल कर रख दिया था. उस दिन दुनिया ने समझा कि भारत तेजी से उभरती ताकत है. उल्लेखनीय है कि भारत ने इससे पहले 18 मई 1974 को पहला परमाणु परीक्षण किया गया था.

अटल जी ने लालबहादुर शास्त्री जी की तरफ से दिए गए नारे जय जवान जय किसान में अलग से जय विज्ञान भी जोड़ा.

स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना

अटल बिहारी वाजपेयी ने 2001 में भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना (गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल प्रोजैक्ट) की शुरुआत की गई. इसके अंतर्गत दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्ग से जोड़ा गया. अहमदाबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, जयपुर, कानपुर, पुणे, सूरत, गुंटुर, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम इस मार्ग पर स्थित अन्य प्रमुख नगर हैं. यह परियोजना भारत की सबसे बड़ी तथा विश्व की 5वीं सबसे बड़ी राजमार्ग परियोजना है.

पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल

19 फ़रवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू की गई. इस सेवा का उद्घाटन करते हुए प्रथम यात्री के रूप में वाजपेयी जी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज़ शरीफ से मुलाकात की और आपसी संबंधों में एक नयी शुरुआत की.

करगिल में ऑपरेशन विजय

साल 1999 में पाकिस्‍तानी सैनिक और घुसपैठिये सीमा पार कर कारगिल की ऊंची पहाड़‍ी की चोटियों पर आ जमे. इसके बाद 8 मई 1999 को भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया और करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल युद्ध लड़ा गया. भारतीय सेना को कारगिल के युद्ध में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. पाकिस्तानी सैनिक ऊंची पहाड़ियों पर बैठे थे और हमारे सैनिकों को गहरी खाई में रहकर उनसे मुकाबला करना था. सेना ने वाजपेयी के निर्देशानुसार काम किया और संयम खोए बगैर घुसपैठियों को खदेड़ना शुरू कर दिया, जिसका नतीजा अंतत: भारतीय सेना की जीत के रूप में सामने आया. अटल सरकार ने पाकिस्तान की सीमा का उल्लंघन न करने की अंतर्राष्ट्रीय सलाह का सम्मान करते हुए धैर्यपूर्वक किंतु ठोस कार्यवाही करके भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराया. इस प्रकार 26 जुलाई 1999 को ‘ऑपरेशन विजय’ समाप्त हो गया. ‘ऑपरेशन विजय’ में भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हुए थे. इस लड़ाई में पाकिस्तान के करीब तीन हजार जवान मारे गए थे.

पुरस्कार और सम्मान

  1. 1992: पद्म विभूषण
  2. 1993: डी लिट (कानपुर विश्वविद्यालय)
  3. 1994: लोकमान्य तिलक पुरस्कार
  4. 1994: श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार
  5. 1994: भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार
  6. 2015: डी लिट (मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय)
  7. 2015: फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड, (बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रदत्त)
  8. 2015: भारत-रत्न

अटल जी का देहांत

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त 2018 को निधन हो गया है. वह 93 साल के थे. उनका अंतिम संस्कार 17 अगस्त को दिल्ली में पारंपरिक विधि-विधान के साथ किया गया. नई दिल्ली के शांतिवन के निकट राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर अटल जी की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य ने उनको मुखाग्नि दी.