कालेधन पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने क्या-क्या उठाए कदम

काले धन पर लगाम लगाने की बड़ी घोषणा भले ही 8 नवम्बर को हुई हो लेकिन मौजूदा केंद्र सरकार पहले दिन से ही कदम दर कदम इस ओर दृढ़ इच्छशक्ति के साथ बढ़ रही थी। चाहे बात विदेशों में रखे अघोषित आय की बात हो यो बात हो बेनामी लेन-देन के क़ानून की। लेकिन इसका एक आयाम आर्थिक आतंकवाद पर लगाम लगाना भी है।

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मई, 2014 में नई सरकार ने अपने कामकाज शुरु किया और पहला कदम था, काले धन को लेकर विशेष जांच दल का गठन। सरकार की कई एजेंसियों ने कई स्तरों पर काले धन पर लगाम लगाने के लिए काम शुरु किया, जिसमें मल्टी एजेंसी समूह ने अलग अलग विभागों को लेकर तेज़ी से काम किया। वहीं, विदेशी सरकारों से मिलकर दोहरे कराधान हटाने के समझौते हुए तो सूचनाओं के आदान प्रदान को लेकर भी सहयोग सामने आए। मोदी सरकार ने स्विस बैंकों में रखे गए काले धन के बारे में सूचना साझा करने के मकसद से भारत और स्विट्जरलैंड के बीच संशोधित दोहरा कर बचाव संधि (डीटीएए) हुई।

मई, 2015 में ही केंद्र सरकार ने काला धन विधेयक को संसद से पारित करवाया, जिसमें अघोषित विदेशी संपत्ति और आय पर जुर्माना से साथ 10 साल तक की जेल की सज़ा का प्रावधान किया गया।

जून, 2016 में आयकर विभाग ने वैश्विक स्तर पर हुए खुलासे के बाद भारतीयों की विदेशों में रखी संपत्ति के बारे में जांच से 13,000 करोड़ रुपये के कालेधन का पता लगाने का दावा किया।

जुलाई, 2016 में कालाधन पर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने तीन लाख रुपये से अधिक के लेन-देन के नकदी में निपटान पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की। एसआईटी ने नकदी रखने पर अधिकतम 15 लाख रुपये की सीमा तय करने का सुझाव दिया।

अगस्त 2016 में काले धन पर अंकुश लगाने के बेनामी लेन-देन (प्रतिबंध) संशोधन बिल को संसद में पास किया गया. यह 1 नवंबर 2016 को लागू हो गया. इसके जरिए रियल एस्टेट और सोने की खरीदारी में बेनामी रूप से हो रहे लेन-देन पर लगाम लगाई जाएगी. इस विधेयक में विदेश में काला धन छिपाने वालों को दस साल तक की सजा और नब्बे फीसद का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।

अक्टूबर, 2016 में सरकार ने घोषणा किया कि 30 सितंबर तक काले धन के खुद ब खुद घोषणा योजना के तहत 65 हजार करोड़ रुपये कालाधन मुख्यधारा में सामने आया। 1 जून 2016 से लागू यह इन्कम डिक्लरेशन स्कीम में 45 फीसदी टैक्स देना था। इसके तहत काला धन घोषित करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

8 नवम्बर, 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया है मंगलवार रात 12 बजे के बाद से देश में 1000 और 500 के पुराने नोट प्रचलन से बाहर हो जाएंगे। माना जा रहा है कि इससे देश में छुपाए गए कालाधन और नकली नोट दोनों पर भारी चोट पड़ेगी।

केन्द्र में एनडीए सरकार के अब तक के करीब 3 सालों के शासनकाल में अब तक भ्रष्टाचार का एक भी मामला सामने नहीं आया है। सरकार काले धन और करप्शन के खिलाफ शुरु से ही सख्त नज़र आ रही है और आम जनता में भी ये संदेश साफ गया है। आगे आने वाले दिनों में भी आयकर विभाग टैक्स की चोरी कर रही कंपनियों के खिलाफ बड़ी जंग छेड़ने जा रहा है। दूसरों के नाम संपत्ति खरीदने बेचने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाये जा चुके हैं और माना जा रहा है कि बेनामी संपत्ति पर सरकार जल्दी ही सख्त कदम उठाने जा रही है।

कुल मिलाकर काले धन और भ्र्ष्टाचार के खिलाफ सरकार के सख्त कदम जारी हैं और शायद इसीलिए पीएम मोदी ने अपने नए कैंपेन #IamNewIndia के तहत काले धन के खिलाफ जंग को सबसे पहले पायदान पर रखा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों को #IamNewIndia के तहत आगे आ कर शपथ लेने का आह्वान किया:
शपथ में कहा गया है

मैं भष्ट्राचारमुक्त भारत के साथ खड़ा हूं….

मैं देश से भ्रष्टाचार और काले धन को पूरी तरीके से हटाने के साथ खड़ा हूं जिसने भारत के विकास को धीमा कर दिया है। मैं भ्रष्टाचार को न तो बढ़ावा दूंगा और न ही सहूंगा। मैं नए भारत का हिस्सा हूं जो 125 करोड़ भारतीयों की शक्ति से अपनी ताक़त लेता है। आइए साथ में मिलकर 2022 तक ,जब हम आजादी के 75 साल पूरे कर रहे हैं, एक सशक्त, समृद्ध और समावेशी भारत का निर्माण करें।