India China informal summit

भारत-चीन अनौपचारिक शिखर बैठक 2018

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग के बीच अनौपचारिक शिखर बैठक 27-28 अप्रैल को चीन में आयोजित किया गया. डोकलाम गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच के संबंधों को सुधारने और विश्वास बहाली के लिए यह बैठक काफी सफल माना जा सकता है.

2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी का यह चौथा चीन दौरा था. दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक मुलाकात 2014 में शुरू हुई थी जब मोदी ने गुजरात के साबरमती आश्रम में शी की मेजबानी की थी. उसके बाद से दोनों नेताओं ने कई अंतरराष्ट्रीय बैठकों के दौरान एक-दूसरे से मुलाकात और बातचीत की. लेकिन यह वार्ता दोनों की ‘खुले दिल से’ होने वाली अनौपचारिक मुलाकात थी.

अनौपचारिक बैठक की घोषणा

दोनों देशों के बीच इस अनौपचारिक शिखर बैठक की योजना हाल ही के एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) के विदेश मंत्रियों के सम्मलेन में की गयी थी. पेइचिंग में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ जॉइंट कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने समिट के दौरान इसकी घोषणा की थी.

आयोजन स्थल

यह अनौपचारिक शिखर बैठक चीन के वुहान शहर में आयोजित किया गया. मोदी और चिनफिंग की मुलाकात के लिए चीन ने आखिर वुहान को ही क्यों चुना? इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. वुहान को चीन ‘दिल’ कहा जाता है. समझा जा रहा है कि मतभेदों को भूलकर चीन के ‘दिल’ में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच ‘दिल की बात’ होगी. गौरतलब है कि चीन के क्रांतिकारी नेता माओ त्से तुंग छुट्टियों में अकसर वुहान और यहां स्थित ईस्ट लेक आना पसंद करते थे.

दो दिवसीय दौरे पर चीन पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वुहान के हुबई संग्रहालय से अपनी यात्रा की शुरुआत की. इसमें कई पुरातन ऐतिहासिक चीज़ों का संग्रह है. इसका ख़ास आर्कषण यहां रखी हुई विशाल तांबे की घंटियां हैं. ये सन् 1978 में एक खुदाई के दौरान हुबई प्रांत के ही शासक मारक़ूस की क्रब के पास ही मिली थीं. मारकूस का शासनकाल 430 ईसा पूर्व तत्तकालीन जेंग प्रांत में था. इस संग्रहालय में पुरात्तव महत्व की लगभग 2 लाख वस्तुएं रखी गई हैं. हुबई संग्रहालय चीन के बड़े संग्रहालयों में से एक है. इसे 1958 में स्थापित किया गया था और मौजूदा स्थान पर इसे 1960 में स्थानांतरित किया गया था.

सीमा पर तनाव कम करने पर जोर

पिछले वर्ष डोकलाम में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 2 महीने से ज्यादा वक्त सैन्य गतिरोध चला था. ऐसे में मोदी और शी ने ‘सीमावर्ती इलाकों में शांति’ को बरकरार रखने के महत्व पर जोर दिया. दोनों पक्ष इसके लिए अपनी-अपनी सेना को रणनीतिक निर्देश जारी करने और मजबूत संवाद के जरिए विश्वास और आपसी समझ पैदा करने की बात कही. दोनों पक्ष आपसी विश्वास बहाली के लिए मिलकर काम करेंगे.

रचनात्मक साझेदारी को मजबूत करने का फैसला

जिस तरह अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों में खुद अपने तक सिमटने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, ऐसे में भारत और चीन को विश्व व्यवस्था में और ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के लिए आगे आना चाहिए. इसके लिए दोनों बड़े पड़ोसियों के बीच स्थिर और संतुलित रिश्ते जरूरी हैं. यही वजह है कि मोदी और शी ने दोनों देशों के बीच टिकाऊ और एक दूसरे के लिए फायदेमंद रचनात्मक साझेदारी को मजबूत करने का फैसला किया है.

मतभेदों को शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए दूर किये जाने पर सहमति

भारत और चीन के बीच संवाद के लिए एक व्यापक मंच की लंबे समय से जरूरत है ताकि विवादित मुद्दों को तूल पकड़ने से पहले ही उन्हें हल किया जा सके. दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि दोनों पक्ष अपने आपसी मतभेदों को शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए परिपक्वता और समझदारी से निपटेंगे. दोनों देशों ने कहा कि वे सीमा विवाद का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं और इसके लिए दोनों देशों ने विशेष प्रतिनिधियों की नियुक्ति की है.

द्विपक्षीय कारोबार और निवेश में संतुलन

दोनों नेता द्विपक्षीय कारोबार और निवेश को संतुलित और टिकाऊ बनाने की दिशा में कदम उठाने को लेकर राजी हुए. दोनों देशों ने मुक्त व्यापार की अहमियत को तवज्जो दिया है ताकि सभी देश अपने विकास के लिए मुक्त होकर काम कर सकें और दुनिया के सभी क्षेत्रों से गरीबी व असमानता को मिटाने में अपना योगदान दे सकें.

आतंकवाद साझा खतरा

मोदी और शी दोनों ने आतंकवाद को साझा खतरा बताया है और इसे मुकाबला करने के लिए सहयोग बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्धता जताई.

अफगानिस्‍तान में संयुक्‍त परियोजना शुरू करने पर सहमति

भारत-चीन अनौपचारिक शिखर वार्ता में दोनों देश, अफगानिस्‍तान में आर्थिक परियोजना पर मिलकर काम करने पर सहमति बनी. यह भारत और चीन द्वारा अफगानिस्‍तान में अपनी तरह की पहली परियोजना होगी. अब तक चीन की ओर से अफगानिस्तान में पाकिस्तान को ही रणनीतिक सपोर्ट किया जाता रहा है. गौरतलब है कि दिसंबर 2017 में चीन ने त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित की थी, जिसमें अफगानिस्तान और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों को आमंत्रित किया था. चीन की इस वार्ता का मकसद पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच मतभेदों को कम करना था.

भारत-चीन अनौपचारिक शिखर बैठक 2019

दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि वुहान समिट की तर्ज पर भविष्य में होने वाले समिट भारत-चीन संबंधों के भविष्य की दिशा को तय करेंगे. चीन से स्वदेश रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने शी चिनफिंग को अगले साल भारत में इसी तरह की अनौपचारिक समिट के लिए न्योता भी दिया.