RBI की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा: रेपो दर 6.5% पर अपरिवर्तित

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC) की बैठक 6-8 फ़रवरी को मुंबई में हुई थी. बैठक की अध्यक्षता बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की थी. यह चालू वित्त वर्ष (2023-24) की छठी और अंतिम द्विमासिक (फ़रवरी-मार्च) मौद्रिक नीति (6th Bi-Monthly Monetary Policy) समीक्षा बैठक थी.

मौद्रिक नीति समिति (MPC) में RBI के तीन अधिकारी और तीन बाहरी सदस्‍य हैं. गवर्नर शक्तिकांत के अलावा समिति में रिजर्व बैंक के अधिकारियों में कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन और डिप्‍टी गर्वनर माइकिल देबब्रत पात्रा शामिल हैं. बाहरी सदस्‍यों में शशांक भिड़े, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा शामिल हैं.

MPC की बैठक, फ़रवरी 2024: मुख्य बिंदु

इस बैठक में RBI ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया. यह लगातार छठी बार है जिसमें RBI ने मुख्‍य दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया है. MPC ने फरवरी 2023 से रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर बरकरार रखा है, जब इसे 6.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था.

वर्ष 2023-24 के लिए सकल घरेलू उत्‍पाद (GDP) की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है. रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान 5.4% पर बनाए रखा गया है.

रेपो दर में परिवर्तन का प्रभाव

रिजर्व बैंक जिस रेट पर बैंकों को कर्ज (लोन) देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट के कम या अधिक होने का प्रभाव कर्ज पर पड़ता है. रेपो दर में वृद्धि से बैंकों को RBI से अधिक व्याज पर कर्ज मिलता है. यानी RBI के इस कदम से कर्ज महंगा होगा.

RBI बढ़ते मुद्रास्फीति (महंगाई दर) पर नियंत्रण के लिए नीतिगत रेपो दर में वृद्धि करता है, जबकि बाजार में मांग को बढाने के लिए रेपो दर में कमी करता है.

रेपो दर में वृद्धि से लोग अपने बचत को खर्च करने के बजाय बैंक में जमा करने को प्रोत्साहित होते हैं, जिससे  मांग घटेगी और महंगाई कम होगी.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर6.50%
रिवर्स रेपो दर3.35%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (MSF)6.75%
बैंक दर6.75%
नकद आरक्षित अनुपात (CRR)4.50%
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)18%

मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC): एक दृष्टि

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति में वर्तमान में 6 सदस्यों की समिति है. इसमें तीन सदस्य RBI से होते हैं और तीन अन्य स्वतंत्र सदस्य भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. समिति की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करता है. इस समिति का गठन उर्जित पटेल कमिटी की सिफारिश के आधार किया गया था.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

बजट पूर्व भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा, क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण

प्रत्येक वर्ष सरकार द्वारा संसद में बजट प्रस्तुत किया जाता है. वर्ष 2024 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिर बजट है, जो कि अंतरिम बजट है, जबकि पूर्ण बजट इस साल होने वाले आम चुनावों के बाद नई सरकार के गठन के बाद पेश होगा.

प्रत्येक वर्ष पूर्ण बजट पेश किए जाने से पूर्व संसद में आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) को रखा जाता है. हालांकि ये अंतरिम बजट है, इसलिए आर्थिक सर्वेक्षण पेश नहीं किया जाएगा.

क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण?

  • वित्त वर्ष 1950-51 में पहली बार देश का इकोनॉमिक सर्वे पेश किया गया था. आर्थिक सर्वेक्षण में सरकारी नीतियों, प्रमुख आर्थिक आंकड़े और क्षेत्रवार आर्थिक रूझानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है.
  • आर्थिक सर्वेक्षण बजट का मुख्य आधार होता है और इसमें इकोनॉमी की पूरी तस्वीर सामने आती है और इसे पिछले वित्तीय वर्ष की समीक्षा के आधार पर तैयार किया जाता है. इसके जरिए सरकार देश की अर्थव्यवस्था की ताजा हालत के बारे में बताती है.
  • आर्थिक सर्वेक्षण दो हिस्सों में पेश होता है, जिसके पहले हिस्सों में देश की अर्थव्यवस्था की ताजा हालत के बारे में जानकारी साझा की जाती है. वहीं दूसरे हिस्से में विभिन्न सेक्टर्स के प्रमुख आंकड़े दिए जाते हैं. ये दस्तावेज आर्थिक मामलों के विभाग के मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में तैयार किया जाता है.
  • मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में तैयार किए गए इस दस्तावेज को अंतिम रूप देने के बाद वित्त मंत्री द्वारा अनुमोदित दिया जाता है.

वित्त मंत्रालय ने भारतीय आर्थिक समीक्षा पेश की

वित्त मंत्रालय ने अंतरिम बजट 2024 से पहले 29 जनवरी को आर्थिक समीक्षा (Economy Review) पेश की थी. यह समीक्षा आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा तैयार किया गया था. समीक्षा में पिछले 10 साल में अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन की तुलना सामने रखी गई है.

आर्थिक समीक्षा 2024: मुख्य बिन्दु

प्रत्येक वर्ष पूर्ण बजट पेश किए जाने से पूर्व संसद में आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) को रखा जाता है. हालांकि ये अंतरिम बजट है, इसलिए आर्थिक सर्वेक्षण पेश नहीं किया जाएगा. इसकी जगह संक्षिप्त आर्थिक समीक्षा पेश किया गया.

  • आर्थिक समीक्षा में उम्मीद जताई गई है कि वित्त वर्ष 2024-25 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि (GDP Growth) 7 प्रतिशत के करीब रह सकती है.
  • वित्त वर्ष 2023-24 लगातार तीसरा ऐसा वर्ष है जब भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में 7 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की जा रही है जबकि वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था 3 प्रतिशत से अधिक की दर से विकास के लिए संघर्षरत है.
  • आर्थिक समीक्षा में अनुमान दिया गया है कि अगले 3 साल में भारतीय अर्थव्यवस्था 5 लाख करोड़ डॉलर का स्तर पार कर लेगी. जबकि 2030 तक अर्थव्यवस्था 7 लाख करोड़ डॉलर का स्तर पार कर सकती है.
  • प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत बैंको में खाता खुलवाने वाली महिलाओं की संख्‍या 2015-16 के 53 प्रतिशत की तुलना में 2019-21 में बढकर 78.6 प्रतिशत हो गई है.
  • रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत विश्व में अमरीका और ब्रिटेन के बाद तीसरी सबसे बडी वित्त प्रौद्योगिकी अर्थव्‍यवस्‍था है.

दसवां वाईब्रेन्‍ट गुजरात वैश्विक शिखर सम्मेलन गांधीनगर में आयोजित किया गया

दसवां वाईब्रेन्‍ट गुजरात वैश्विक शिखर सम्मेलन (10th Vibrant Gujarat Global Summit) 2024 गांधीनगर के महात्मा मंदिर में आयोजित किया गया था. इसका उद्घाटन 10 जनवरी को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने किया था. यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा ‘ग्लोबल ट्रेड शो’ था.

मुख्य बिन्दु

  • वर्ष 2024 के वाईब्रेन्‍ट गुजरात वैश्विक शिखर सम्मेलन का विषय ‘भविष्य का प्रवेश द्वार’ था. इसमें 34 भागीदार देशों और 16 भागीदार संगठनों ने हिस्सा लिया था.
  • भारतीय उद्योगपतियों के साथ-साथ लगभग 200 से अधिक वैश्विक सीईओ ने भी इस शिखर सम्मेलन में भाग लिया.
  • इस शिखर सम्मेलन का उपयोग उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में निवेश के अवसरों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच के रूप में भी किया गया था.
  • यह शिखर सम्मेलन सेमि कंडक्टर, ग्रीन हाइड्रोजन, ई-मोबिलिटी और अंतरिक्ष विनिर्माण जैसे उभरते क्षेत्रों पर केंद्रित था.
  • ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, यूएई, यूके, जर्मनी, नॉर्वे सहित 20 देशों के प्रतिनिधित्व करने वाले अनुसंधान क्षेत्र के एक हजार से अधिक प्रदर्शक इस व्यापार शो में भाग लिए. प्रधानमंत्री ने विश्‍व नेताओं शीर्ष कम्‍पनियों के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारियों के साथ बैठक किए.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्‍त अरब अमीरात के राष्‍ट्रपति शेख मोहम्‍मद बिन जायद अल नाहयान ने सरदार वल्‍लभ भाई पटेल अंतरराष्‍ट्रीय हवाई अड्डे के बाहर रोड शो किए.
  • विभिन्न क्षेत्रों में अत्याधुनिक उत्पादनों और सेवाओं को इस व्यापार शो में प्रस्तुत किया गया, जिनमें इलेक्ट्रिक वाहन, ग्रीन हाइड्रोजन, नवीनीकरणीय ऊर्जा और साइबर सुरक्षा जैसे उभरते उद्योग भी शामिल थे.
  • भारत ने संयुक्‍त अरब अमीरात (UAE) के साथ चार समझौते किए. यह नूतन स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल, नवीकरणीय ऊर्जा, फूड पार्क और लॉजिटिक्‍स के क्षेत्र में सहयोग और निवेश से संबंध‍ित हैं.उद्योग जगत ने इस सम्‍मेलन में गुजरात में 2.38 लाख करोड रुपये से अधिक के निवेश की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की.
  • सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन ने 35 हजार करोड रुपये के निवेश से गुजरात में दूसरी कार निर्माण इकाई स्‍थापित करने का वायदा किया.
  • रिलायंस इंडस्‍ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने दक्षिण गुजरात के हाजिरा में भारत की पहली कार्बन फाइबर इकाई स्‍थापित करने की बात कही.
  • अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने गुजरात में दो लाख करोड रुपये निवेश करने को कहा है. इससे अगले पांच वर्ष में एक लाख लोगों को प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष रोजगार मिलेगा.
  • कच्‍छ के खावडा में विश्‍व का सबसे बडा ग्रीन ऊर्जा पार्क अडानी समूह बना रहा है. इससे तीस गीगा वाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्‍पन्‍न होगी.
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा है कि भारत 2028 तक 5 ट्रिलियन डॉलर और 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा.
  • श्रीमती सीतारामन ने कहा क‍ि भारत में 2023 तक पिछले 23 वर्ष में 919 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ जिसमें से 65 प्रतिशत निवेश पिछले 9 वर्षों में आया है.

राष्ट्रीय आय का अग्रिम अनुमान जारी, GDP वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने 5 जनवरी को चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए राष्ट्रीय आय का पहला अग्रिम अनुमान (FI) जारी किया था. यह अनुमान स्थिर (2011-12) और वर्तमान दोनों कीमतों पर जारी किया गया था.

मुख्य बिन्दु

  • वित्तीय वर्ष 2023-24 में स्थिर (2011-12) कीमतों पर वास्तविक जीडीपी ₹171.79 लाख करोड़ के स्तर तक पहुंचने का अनुमान है. 2023-24 के दौरान वास्तविक डीपी में 7.3 प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान है, जबकि 2022-23 में यह 7.2 प्रतिशत थी.
  • वर्ष 2023-24 में मौजूदा कीमतों पर जीडीपी ₹296.58 लाख करोड़ अनुमानित है. 2023-24 के दौरान 8.9 प्रतिशत वृद्धि अनुमानित है जबकि 2022-23 में यह 16.1 प्रतिशत थी.
  • NSO के अनुमान के अनुसार, निवेश और सरकार के व्यय के कारण खनन, विनिर्माण और वित्तीय सेवा क्षेत्र में वृद्धि होगी यह समग्र रूप से जीडीपी की वृद्धि दर को तेज़ करने में सहायक होगी.
  • सरकार का अनुमान है कि निवेश और विनिर्माण में वृद्धि के कारण दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रह सकती है.
  • राष्ट्रीय आय के अग्रिम अनुमान संकेतक-आधारित हैं और बेंचमार्क-सूचक पद्धति का उपयोग करके संकलित किए जाते हैं यानी पिछले वर्ष (2022-23) के लिए उपलब्ध अनुमान क्षेत्रों के प्रदर्शन को प्रतिबिंबित करने वाले महत्‍वपूर्ण संकेतकों का उपयोग करके निकाले जाते हैं.

RBI की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा: रेपो दर 6.5% पर अपरिवर्तित

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC) की बैठक 6-8 दिसम्बर को मुंबई में हुई थी. बैठक की अध्यक्षता बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की थी. यह चालू वित्त वर्ष (2023-24) की पाँचवीं द्विमासिक (दिसम्बर-जनवरी) मौद्रिक नीति (5th Bi-Monthly Monetary Policy) समीक्षा बैठक थी.

MPC की बैठक, दिसम्बर 2023: मुख्य बिंदु

इस बैठक में RBI ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया. यह लगातार पाँचवीं बार है जिसमें RBI ने मुख्‍य दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया है.

वर्ष 2023-24 के लिए सकल घरेलू उत्‍पाद (GDP) की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है. रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान 5.4% पर बनाए रखा गया है.

रेपो दर में परिवर्तन का प्रभाव

रिजर्व बैंक जिस रेट पर बैंकों को कर्ज (लोन) देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट के कम या अधिक होने का प्रभाव कर्ज पर पड़ता है. रेपो दर में वृद्धि से बैंकों को RBI से अधिक व्याज पर कर्ज मिलता है. यानी RBI के इस कदम से कर्ज महंगा होगा.

RBI बढ़ते मुद्रास्फीति (महंगाई दर) पर नियंत्रण के लिए नीतिगत रेपो दर में वृद्धि करता है, जबकि बाजार में मांग को बढाने के लिए रेपो दर में कमी करता है.

रेपो दर में वृद्धि से लोग अपने बचत को खर्च करने के बजाय बैंक में जमा करने को प्रोत्साहित होते हैं, जिससे  मांग घटेगी और महंगाई कम होगी.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर6.50%
रिवर्स रेपो दर3.35%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (MSF)6.75%
बैंक दर6.75%
नकद आरक्षित अनुपात (CRR)4.50%
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)18%

मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC): एक दृष्टि

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति में वर्तमान में 6 सदस्यों की समिति है. इसमें तीन सदस्य RBI से होते हैं और तीन अन्य स्वतंत्र सदस्य भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. समिति की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करता है. इस समिति का गठन उर्जित पटेल कमिटी की सिफारिश के आधार किया गया था.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

2023-24 की दूसरी तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था 7.6 प्रतिशत बढ़ी

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने चालू वित्त वर्ष (2023-24) की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान देश के जीडीपी के आधिकारिक आंकड़े 30 नवंबर 2023 को प्रकाशित किए थे.

मुख्य बिन्दु

  • इसके अनुसार 2023-24 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारत की अर्थव्यवस्था (GDP) 7.6 प्रतिशत की गति से आगे बढ़ी है. पिछले वर्ष 2022-23 की इसी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.2 प्रतिशत रही थी.
  • अर्थव्यस्था के वृद्धि दर्ज करने का प्रमुख कारण विनिर्माण, खनन और सेवा क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन है. जिसके परिणामस्वरूप भारत विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाला देश बन गया है.
  • हालांकि वित्त वर्ष 2023-24 के प्रथम तिमाही की तुलना में भारत के अर्थव्यवस्था की विकास दर कम रही है. प्रथम तिमाही में विकास दर 7.8 प्रतिशत रही थी.
  • भारत विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है. जबकि चीन, जुलाई-सितंबर के दौरान 4.9 प्रतिशत की विकास दर रही है.
  • 2023-24 की दूसरी तिमाही में वर्तमान कीमतों पर जीडीपी या सकल घरेलू उत्पाद 71.66 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जबकि 2022-23 की दूसरी तिमाही में यह 65.67 लाख करोड़ रुपये था.
  • कृषि क्षेत्र की जीवीए (ग्रॉस वैल्यू एडेड) वृद्धि सितंबर 2023 तिमाही में घटकर 1.2 प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले 2.5 प्रतिशत थी.
  • विनिर्माण क्षेत्र के जीवीए में 13.9 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जबकि एक साल पहले की अवधि में इसमें 3.8 प्रतिशत की गिरावट आई थी.
  • खनन और उत्खनन में उत्पादन दूसरी तिमाही में बढ़कर 10 प्रतिशत हो गया, जिसमें एक साल पहले 0.1 प्रतिशत की गिरावट आई थी.

विपणन वर्ष 2024-25 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी

सरकार ने विपणन वर्ष 2024-25 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को 18 अक्तूबर को मंजूरी दी थी. यह मंजूरी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने दी.

मुख्य बिन्दु

  • विपणन सीजन 2024-25 के लिए छह फसलों के MSP में वृद्धि को मंजूरी दी गई है, ताकि उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके.
  • गेहूं का MSP 150 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर 2,275 रुपए क्विंटल किया गया है. रबी की 5 अन्य फसलों जौ, चना, मसूर, सरसों, कुसुम की MSP में भी बढ़ोतरी की गई है.
  • रबी फसल की बुआई लौटते मानसून और पूर्वोत्तर मानसून के समय की जाती है. इन फसलों की कटाई आमतौर पर गर्मी के मौसम में अप्रैल में होती है. रबी की प्रमुख फसलें गेहूं, चना, मटर, सरसों और जौ है.

विपणन वर्ष 2024-25 के लिए रबी फसलों का MSP

फसलप्रति क्विंटल MSPवृद्धि
गेहूं2275150
जौ1850115
सरसों5650200
चना5440105
कुसुभ5800150
मसूर6425425

MSP (Minimum Support Price) क्या है?

MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत होती है, जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है. इसे सरकारी भाव भी कहा जा सकता है. MSP की घोषणा सरकार द्वारा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की संस्तुति पर वर्ष में दो बार रबी और खरीफ के मौसम में की जाती है.

सरकार फसलों की MSP तय करती है ताकि किसानों की उपज का वाजिब भाव मिल सके. इसके तहत सरकार फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया, नैफेड जैसी सरकारी एजेसिंयों की मदद से किसानों की फसलों को खरीदती है.

MSP में 23 फसलें शामिल होती हैं

  • 7 प्रकार के अनाज (धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी और जौ)
  • 5 प्रकार की दालें (चना, अरहर/तुअर, उड़द, मूंग और मसूर)
  • 7 तिलहन (रेपसीड-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम, निगरसीड)
  • 4 व्यावसायिक फसलें (कपास, गन्ना, खोपरा, कच्चा जूट)

जून तिमाही के लिए जीडीपी आंकड़े जारी, जीडीपी वृद्धि 7.8 फीसदी

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने वर्तमान वित्त वर्ष (2023-24) के पहले तिमाही (अप्रैल-जून) के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) आंकड़े 31 अगस्त को जारी किए थे. इस तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर बीती 4 तिमाही में सबसे तेज रही है.

अप्रैल-जून तिमाही के आँकड़े: मुख्य बिन्दु

  • NSO द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार इस वित्त वर्ष के अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 फीसदी रही है.
  • इससे पहले जनवरी-मार्च तिमाही में वृद्धि दर 6.1 फीसदी के स्तर पर थी. अकतूबर-दिसंबर तिमाही में जीडीपी 4.5 फीसदी के रफ्तार से बढ़ी थी.
  • कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा. कृषि क्षेत्र में 3.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, जो 2022-23 की इसी तिमाही में 2.4 प्रतिशत थी.
  • विनिर्माण (मैन्यूफैक्चरिंग) क्षेत्र की वृद्धि दर घटी है और यह गिरकर 4.7 प्रतिशत रह गई. 2022-23 की इसी तिमाही में यह 6.1 प्रतिशत थी.
  • इस दौरान सेवा क्षेत्र में 9.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. पिछले वर्ष समान तिमाही में यह 25.7 प्रतिशत थी.

आरबीआई का पूर्वानुमान

  • रिजर्व बैंक के पूर्वानुमान के मुताबिक जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी. आरबीआई ने पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. हालांकि विकास दर आरबीआई के अनुमान से कुछ कम रहा है.
  • कई रेटिंग एजेंसियों ने भारत के वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित किया है. आईएमएफ ने 2023 के लिए वृद्धि दर 5.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था, लेकिन बाद में उसे संशोधित कर 6.1 फीसदी कर दिया.

मंत्रिमंडल समिति ने रेल मंत्रालय की सात परियोजनाओं की अनुमति दी

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने रेल मंत्रालय की सात परियोजनाओं के लिए लगभग 32.5 हजार करोड रुपये की अनुमानित लागत को मंजूरी दी. केन्‍द्र सरकार इन परियोजनाओं के लिए शत-प्रतिशत कोष उपलब्‍ध करायेगी.

  • भारतीय रेल के सबसे व्यस्त मार्गों पर अति-आवश्‍यक बुनियादी ढांचा विकास प्रदान करते हुए मल्‍टी-ट्रैकिंग के प्रस्ताव परिचालन को सुगम बनायेंगे और भीड को कम करेंगे.
  • इन परियोजनाओं में उत्‍तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, आन्‍ध्र प्रदेश, महाराष्‍ट्र, गुजरात, ओडिसा, झारखण्‍ड और पश्चिम बंगाल के 35 जिले शामिल हैं.
  • ये परियोजनाएं भारतीय रेल के मौजूदा नेटवर्क को 2339 किलोमीटर तक बढायेंगी. ये परियोजनाएं राज्‍यों के लोगों को 7.6 करोड मानव-दिवस का रोजगार प्रदान करेंगी.

RBI की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा: नया रेपो दर 6.5% पर अपरिवर्तित

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC) की बैठक 8-10 अगस्त को मुंबई में हुई थी. बैठक की अध्यक्षता बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की थी. यह चालू वित्त वर्ष (2023-24) की तीसरी द्विमासिक (जुलाई-अगस्त) मौद्रिक नीति (3rd Bi-Monthly Monetary Policy) समीक्षा बैठक थी.

MPC की बैठक, अगस्त 2023: मुख्य बिंदु

इस बैठक में RBI ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया. यह लगातार तीसरी बार है जिसमें RBI ने मुख्‍य दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया है.

वर्ष 2023-24 के लिए सकल घरेलू उत्‍पाद (GDP) की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान व्‍यक्‍त किया है. रिजर्व बैंक ने उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (CPI) का संशोधित लक्ष्‍य 5.4 प्रतिशत रखा है.

रेपो दर में परिवर्तन का प्रभाव

रिजर्व बैंक जिस रेट पर बैंकों को कर्ज (लोन) देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट के कम या अधिक होने का प्रभाव कर्ज पर पड़ता है. रेपो दर में वृद्धि से बैंकों को RBI से अधिक व्याज पर कर्ज मिलता है. यानी RBI के इस कदम से कर्ज महंगा होगा.

RBI बढ़ते मुद्रास्फीति (महंगाई दर) पर नियंत्रण के लिए नीतिगत रेपो दर में वृद्धि करता है, जबकि बाजार में मांग को बढाने के लिए रेपो दर में कमी करता है.

रेपो दर में वृद्धि से लोग अपने बचत को खर्च करने के बजाय बैंक में जमा करने को प्रोत्साहित होते हैं, जिससे  मांग घटेगी और महंगाई कम होगी.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर6.50%
रिवर्स रेपो दर3.35%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (MSF)6.75%
बैंक दर6.75%
नकद आरक्षित अनुपात (CRR)4.50%
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)18%

मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC): एक दृष्टि

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति में वर्तमान में 6 सदस्यों की समिति है. इसमें तीन सदस्य RBI से होते हैं और तीन अन्य स्वतंत्र सदस्य भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. समिति की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करता है. इस समिति का गठन उर्जित पटेल कमिटी की सिफारिश के आधार किया गया था.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

नीति आयोग ने राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक जारी किया

नीति आयोग ने 15 जुलाई को राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multi-dimensional Poverty Index) जारी किया था. नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीवीआर सुब्रह्मण्‍यम द्वारा जारी इस सूचकांक में गरीबी से मुक्त लोगों की जानकारी दी गई है.

यह राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 के बीच बहुआयामी गरीबी को कम करने में भारत की प्रगति को दर्शाता है.

राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: मुख्य बिन्दु

  • नीति आयोग ने कहा है कि 2015-16 से 2019-20 के बीच 5 वर्षों में 13.5 करोड़ लोग बहु-आयामी गरीबी से मुक्त हुए. इन पांच वर्षों में गरीब लोगों की संख्या 24.85 प्रतिशत से घटकर 14.96 प्रतिशत पर आ गयी है.
  • ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की दर में तेज गिरावट आयी है और इस दौरान यह 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत रह गयी है.
  • इस रिपोर्ट में 36 राज्यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों तथा 707 प्रशासनिक जिलों में बहुआयामी गरीबी का आकलन प्रस्तुत किया गया है.
  • रिपोर्ट के अनुसार पोषण में सुधार, बच्चों के स्कूल जाने की व्यवस्था, स्वच्छता और रसोई के लिए ईंधन की व्यवस्था ने गरीबी में कमी लाने में उल्लेखनीय भूमिका निभायी है.
  • यह सूचकांक स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा और जीवनशैली के आधार पर गरीबी को परिभाषित करने का समग्र तरीका है. इसके माध्यम से राष्ट्रीय, राज्य और जिलों के स्तर पर राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में सुधार की योजनाओं का आकलन किया जाता है.

गोल्डमैन सैच रिपोर्ट: भारत 2075 तक विश्‍व की दूसरी सबसे बडी अर्थव्‍यवस्‍था होगी

निवेश बैंक गोल्डमैन सैच (Goldman Sachs) ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार भारत 2075 तक जापान, जर्मनी और अमरीका को पीछे छोडते हुए विश्‍व की दूसरी सबसे बडी अर्थव्‍यवस्‍था होगी.

गोल्डमैन सैच रिपोर्ट: मुख्य बिन्दु

  • 140 करोड की आबादी के साथ भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) बढ कर 52.5 ट्रिलियन डॉलर हो जाने का अनुमान है, जो अमरीका के GDP के अनुमान से अधिक है.
  • वर्तमान में, भारत जर्मनी, जापान, चीन और अमेरिका के बाद दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.
  • नवाचार, प्रौद्योगिकी, उच्च पूंजी निवेश और बढ़ती श्रमिक उत्पादकता आने वाले वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था की मदद करेगी.
  • अगले दो दशकों में भारत का निर्भरता अनुपात क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम होगा. निर्भरता अनुपात को कुल कामकाजी उम्र की आबादी के खिलाफ आश्रितों की संख्या से मापा जाता है.